10 April 2010

दिल में सौ दर्द पाले

दिल में सौ दर्द पाले बहन–बेटियाँ
घर में बाँटें उजाले बहन–बेटियाँ

कामना एक मन में सहेजे हुए
जा रही हैं शिवाले बहन–बेटियाँ

ऐसी बातें कि पूरे सफ़र चुप रहीं
शर्म की शाल डाले बहन–बेटियाँ

हो रहीं शादियों के बहाने बहुत
भेड़ियों के हवाले बहन–बेटियाँ

गाँव–घर की निगाहों के दो रूप हैं
कोई कैसे सँभाले बहन–बेटियाँ

–ओम प्रकाश यती

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