देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं।
पेड़, किताबें, बच्चे मेरे साथी हैं।
कर ले कोई लाख बुराई भी मेरी
उनको क्या जो मन से मेरे साथी हैं।
निष्ठा का ये हाल सियासत में अब है
रोज़ बदलते झण्डे मेरे साथी हैं।
काम पड़े तब देखें आते हैं कितने
कहने को तो नब्बे मेरे साथी हैं।
अपने और पराए का अन्तर कैसा
सब अल्ला के बन्दे मेरे साथी हैं।
–ओमप्रकाश यती
पेड़, किताबें, बच्चे मेरे साथी हैं।
कर ले कोई लाख बुराई भी मेरी
उनको क्या जो मन से मेरे साथी हैं।
निष्ठा का ये हाल सियासत में अब है
रोज़ बदलते झण्डे मेरे साथी हैं।
काम पड़े तब देखें आते हैं कितने
कहने को तो नब्बे मेरे साथी हैं।
अपने और पराए का अन्तर कैसा
सब अल्ला के बन्दे मेरे साथी हैं।
–ओमप्रकाश यती
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